श्वेत मशरूम

श्वेत मशरूम की आकृति बटन के समान होने के कारण इसको बटन मशरूम के नाम से जाना जाता है। यह मशरूम प्रारंभ में बटन के आकार के समान छोटे व मोटे तने वाली होती है। बाद में यह परिपक्व अवस्था पर छतरी का रूप धारण कर लेती है। इसकी टोपी का व्यास 5-7 सें.मी. तथा वृन्त की लंबाई 3-4 सें.मी. एवं मोटाई 1-2 सें.मी. तक होती है।

बटन मशरूम शीतकालीन छत्रक है, जो पमैदानी इलाकों में सर्दियों के मौसम (अक्टूबर से मार्च) में उगायी जाती है। इसकी उपज के लिए तापमान 16 से 25 डिग्री तापमान आवश्यक होता है। कवक जाल बढ़वार के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त रहता है। फसल उत्पादन अवस्था के लिए 16 से 2 डिग्री सेल्सियस अत्यधिक अनुकूल रहता है।

पोषक तत्व

  • 100 ग्राम ताजा बटन मशरूम में पाये जाने वाले पोषक तत्व निम्न मात्रा में पाये जाते हैं। 
  • कार्बोहाइड्रेट-5 प्रतिशत, रेशे-0.9 प्रतिशत
  • प्रोटीन-3.7 प्रतिशत, राख-0.8 प्रतिशत
  • वसा-0.3 प्रतिशत , नमी-90.1 प्रतिशत
  • श्वेत बटन मशरूम का कैलोरीज मान 36 कि.ग्रा. कैलोरी है।       

प्रजातियां

श्वेत बटन मशरूम की निम्न दो प्रजातियां हैं। 

  •  एगेरिकस बाइस्पोरस: इसकी प्रभेद-एम.एस.-39, एन.सी.एस.-6, एन.सी. एस.-11
  • एगेरिकस बाइटोरकस: इसकी प्रभेद-एन. सी.बी.-1, एन.सी.बी.-6, एन.सी.बी.-13

उत्पादन विधि

बटन मशरूम को उगाने के लिए कम्पोस्ट की आवश्यकता होती है। कम्पोस्ट भूसा, गेहूं का चापड़, यूरिया एवं जिप्सम को एक साथ मिलाकर व सड़ाकर तैयार किया जाता है। इस मिश्रण को कई तरह की सूक्ष्मजीव रासायनिक क्रिया द्वारा कार्बनिक पदार्थों का विघटन कर कम्पोस्ट में परिवर्तित कर देते हैं। यह एक जैविक विधि है।

कम्पोस्ट बनाने के लिए आवश्यक सामग्री

गेहूं का भूसाः आवश्यकतानुसार परन्तु कम से कम 5 क्विंटल सूखा भूसा होना ही चाहिए।

गेहूं का चापड़ः 100 कि.ग्रा. सूखे भूसे में 15 कि.ग्रा. चापड़

यूरिया: 100 कि.ग्रा. सूखे भूसे में 1 कि.ग्रा. 800 ग्राम

जिप्समः 100 कि.ग्रा. सूखे भूसे में 3 कि.ग्रा. 500 ग्राम

इसके अलावा तीन लकड़ी (बांस) या लोहे के बोर्ड जिसमें 2 बोर्ड की ऊंचाई 1.5 मीटर व लंबाई आवश्यकतानुसार तथा 1 बोर्ड की ऊंचाई 1.5 मीटर व चौड़ाई 1 मीटर हो।

कम्पोस्ट बनाना

बटन मशरूम उगाने के लिए कम्पोस्ट दो विधियों द्वारा तैयार किया जाता है। 

  •  दीर्घकालीन विधि
  • अल्पकालीन विधि

दीर्घकालीन विधि

यह विधि मुख्य रूप से अपनायी जाती है। यह अधिक समय लगाने वाली, लेकिन सरल एवं सस्ती विधि है। इस विधि से कम्पोस्ट बनाने में 27 दिनों का समय लगता है। इसमें भूसे एवं अन्य मिलाये जानेवाले मिश्रण को 7-8 बार उलट-पलट किया जाता है। इसमें निम्न क्रियाएं की जाती हैं। 

पूर्व गीली अवस्था

इस अवस्था पर लिये गये सम्पूर्ण भूसे को गीला किया जाता है। यह अवस्था दो दिनों की होती है एवं इसे पूर्व गीली अवस्था (प्रीवेटिंग फेज) भी कहा जाता है। इसमें ध्यान इतना ही रखें कि भूसा पूर्णतः गीला हो जाये, परन्तु भूसे से पानी रिस कर बाहर नहीं निकलने पाए। इसी अवस्था पर यूरिया एवं गेहूं का चापड़ पूरी मात्रा में मिला देना चाहिए।

पहली पलटाईपहली पलटाई छठे दिन पर की जाती है। इसके लिए जिस तरफ प्रथम निश्चित आकार का भूसा या पायल बनाते समय एक ओर बोर्ड नहीं लगाये थे, उस ओर तीनों बोर्डो को लगाकर पुनः एक बॉक्स की सी आकृति बना ली जाती है। पूर्व में बनाये गए भूसे को तोड़कर इस बॉक्स में भरा जाता है। भरते समयध्यान यह रखा जाता है कि पायल का ऊपर का भूसा नीचे, नीचे का ऊपर, बगलों वाला बीच में एवं बीच वाला बाहर की ओर डालें। इस प्रकार सारे भूसे का विघटन समरूपता से होता रहे। पायल बनाते समय बीच-बीच में भूसे में पानी समान मात्रा में डालते रहना चाहिए। पायल के पूरा बनने पर एवं बोर्डो को हटाने के तुरन्त पश्चात पायल एवं फर्श पर नुवान का हल्का छिड़काव करना चाहिए, ताकि पायल एवं इसके पास वाले फर्श पर मक्खियां बैठकर अंडे नहीं दे पायें। इस प्रकार भूसे को मक्खियों के लार्वा (मैगट) के संक्रमण से बचाया जा सके। पायल बनने के पश्चात व बोर्डो के हटाने पर नुवान का हल्का छिड़काव तथा पायल बनाते समय भूसे पर नियमित पानी का छिड़काव आवश्यकतानुसार किया जाना चाहिए। ये दोनों क्रियाएं प्रत्येक पलटाई पर अवश्य की जाती हैं।

दूसरी पलटाई

यह पलटाई 9वें दिन की जाती है। इसमें सारी प्रक्रियाएं प्रथम पलटाई वाली ही की जाती हैं।

तीसरी पलटाई 

यह पलटाई 12वें दिन की जाती है। इस पलटाई पर पायल (भूसे) में जिप्सम 100 कि.ग्रा. सूखे भूसे में 3.5 कि.ग्रा की दर से मिलाया जाता है। जिप्सम से कम्पोस्ट का पी-एच ठीक बनता है एवं यह चिपचिपाहट को कम करता है। अन्य सभी क्रियाएं प्रथम पलटाई जैसी ही हैं।

चौथी पलटाई

15वें दिन की जाती है। 

पांचवीं पलटाई

18वें दिन की जाती है। 

छठी पलटाई

21वें दिन की जाती है एवं इस समय मिश्रण में से अमोनिया की गंध पूरी तरह अवश्य समाप्त हो जानी चाहिए।

 सातवीं पलटाई

24वें दिन की जाती है।

आठवीं पलटाई

27वें दिन की जाती है। यदि और पलटाई की जरूरत नहीं हो तो कम्पोस्ट में बिजाई की जाती है।

अल्पकालीन विधि

कम्पोस्ट बनाने की यह उन्नत एवं कम समय यानी कि 18-20 दिनों में तैयार करने वाली विधि है। इस विधि से तैयार की गई कम्पोस्ट पर मशरूम की उपज भी ज्यादा मिलती है। इस विधि को प्रदेश में बहुत कम काम में लिया जाता है। इसका कारण कम्पोस्ट तैयार करने में लागत का ज्यादा आना एवं कुछ खास यंत्रों जैसे-बल्क पाश्चुराइजेशन टनल व पीक हीटिंग कमरा इत्यादि की आवश्यकता होना।

बिजाई करना

कम्पोस्ट के तैयार होने पर इसमें बीज मिलाया जाता है। बीज की मात्रा एक प्रतिशत की दर से अर्थात 100 कि.ग्रा. कम्पोस्ट में एक कि.ग्राबीज मिलाते हैं, जो मिलवां विधि या परतदार विधि से मिला सकते हैं। कम्पोस्ट एवं बीज मिले मिश्रण को क्यारी के रूप में या 45 x 60 सें.मी. आकार वाली पॉलीथीन की थैलियों में भरा जाता है। इन बिजाई की गई थैलियों को रेक्स पर उत्पादन कक्ष (कमरा या झोपड़ी) में बीज बढ़वार के लिए रखा जाता है। इस समय कमरे का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से कम एवं नमी प्रतिशत होनी चाहिए। 15-20 दिनों में थैलियों/क्यारियों के अंदर बीज बढ़वार पूर्ण हो जाती है, इसके बाद केसिंग की जरूरत पड़ती है।

 केसिंग करना

थैलियों/क्यारियों के अंदर बीज बढ़वार पूर्ण होने पर केसिंग का कार्य किया जाता है। इसके लिए 2 वर्ष पुरानी गोबर की खाद को काम में लिया जाता है। इस गोबर की खाद को 2 प्रतिशत फार्मलिन घोल से उपचारित किया जाता है। बाद में बैग को खोलकर इसके मुंह को नीचे की ओर समेटकर कम्पोस्ट की सतह को समतल करके स्प्रे से पानी देकर 1.5 इंच मोटी केसिंग परत बिछाते हैं। इसके बाद फुट स्प्रेयर से इस परत पर इतना पानी छिड़का जाता है कि सारी परत अच्छी तरह गीली हो जाए। इसी दिन से इन बैगों की सिंचाई नियमित रूप से करनी चाहिए।

सिंचाई

केसिंग परत बिछाने के बाद से आखिरी फसल उत्पादन तक सिंचाई की जाती है। प्रतिदिन कम से कम तीन बार सिंचाई, फुट स्प्रेयर पम्प से ही करें। सुबह की सिंचाई मशरूम की तुड़ाई पश्चात करनी चाहिए।

उपज

केसिंग परत बिछाने के 10-12 दिनों बाद बटन मशरूम के पिन हेड निकलना शुरू होते हैं। ये पिन हेड 6-7 दिनों में बड़े हो जाते हैं, जिन्हें हल्के हाथ से चारों ओर घुमाते हुए तोड़ लेना चाहिए। जब मशरूम का शीर्ष 2-4 सें.मी. का हो तब उसे खुलने से पूर्व तोड़ लेना चाहिए। यह बटन मशरूम उपज प्रथम तुड़ाई से दो माह तक लगातार प्राप्त होती रहती है।

 बाजार भाव

ताजा बटन मशरूम का बाजार भाव 100 रुपये प्रति कि.ग्रा. है। यह मशरूम ताजा अवस्था में ही खायी जाती है। इसके व्यंजन बनाकर भी उपयोग में लाया जा सकता है। इसे सुखाया नहीं जाता है।

अच्छे कम्पोस्ट की पहचान

कम्पोस्ट बनने पर किसानों के लिए प्रश्न यह उठता है कि उन्हें कैसे पता चलेगा कि यह अच्छा बना है या नहीं इसलिए इसकी पहचान के निम्न लक्षण है:

कम्पोस्ट का रंग गहरा भूरा होना। यह हाथ पर चिपकना नहीं चाहिए अर्थात चिपचिपाहट नहीं हो। इसमें पानी की मात्रा 68-70 प्रतिशत होनी चाहिए। तैयार कम्पोस्ट में अच्छी खुशबू आती हो, लेकिन अमोनिया की गंध नहीं आए। तैयार कम्पोस्ट में नाइट्रोजन की मात्रा 2 से 2.5 प्रतिशत तक हो। इसका पी-एच मान 7 से 7.8 होना चाहिए। इसमें कीट या किसी प्रकार की फफूंद नहीं होनी चाहिए।


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